तुम और यहां ~ अनन्या दाश ~

Short poem in Hindi " TUM AUR YAHAN " by Ananya Dash

तुम हक की बात करते हो
यहां कपड़े अपने पसंद के नहीं पेहेन सकते,

तुम दुख की बात करते हो
यहां चीखें अनसुना कर देते हैं,

तुम इज्जत की बात करते हो
यहां अपनो को हम तहजिब सिखाते हैं,

तुम आवाज़ उठाने की बात करते हो
यहां मुंह बंद करना सिखाते है,

तुम देवी मां को पूजने वाले भारत की बात करते हो
यहां वह सीर्फ दूर्ग पूजा में देखने को मिलता है।

 

~ अनन्या दाश ~


0

This entry was posted in Literature, Short Poems and tagged , , , , , , , , , . Bookmark the permalink.