तुम हक की बात करते हो
यहां कपड़े अपने पसंद के नहीं पेहेन सकते,
तुम दुख की बात करते हो
यहां चीखें अनसुना कर देते हैं,
तुम इज्जत की बात करते हो
यहां अपनो को हम तहजिब सिखाते हैं,
तुम आवाज़ उठाने की बात करते हो
यहां मुंह बंद करना सिखाते है,
तुम देवी मां को पूजने वाले भारत की बात करते हो
यहां वह सीर्फ दूर्ग पूजा में देखने को मिलता है।
~ अनन्या दाश ~
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