लड़की हूँ ~ मिनाक्षी साहु ~

Short poem in Hindi "LADKI HOON" by Minakshi Sahoo

लड़की हूँ
ज़िन्दा रहना चाहती हूँ हक से ।।
सन्मान चाहती हूँ
अपनी प्रतिष्ठा
और स्वाभिमान से ।

खुलकर  जिन्दगी  जिना  चाहती हूँ,
मुस्कुराना चाहती हूँ अपने‌ लिए ।

रास्ते में हक़ से
चलना चाहती हूँ
क्यूँ मुझे रोकते हो
टोकते हो !!
क्या लड़की
इन्सान नहीं होती !!

ना रास्ते में चलने देते हो
ना साथ देते हो
चंद मर्जीयों को
सम्मान भी नहीं देते
पर चुश लेते हो
ज़िन्दगी उसकी!!!

लड़की हूँ
ज़िन्दा इन्सान हूँ
जिने दो मुझे
आत्म-सम्मान से…
हाँ लड़की हूँ मैं
जिने दो मुझे………

 

~ मिनाक्षी साहु ~


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