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WAQT KI DHARA वक्त की धारा ~ AMITA SINGH अमिता सिंह

Waqt Ki Dhara

मैंने कुछ यूं जिंदगी को करीब से देखा है हर पल ज़माने का रंग बदलते देखा है कि– मैंने अपने बाबा के सफर को स्याही में पिरोया है वो जो चलते थे तो शेर के चलने का गुमान होता था … Continue reading

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