BHARAT KI RAKSHYA भारत की रक्षा by ~Ms. Nivedita Satpathy निवेदिता~

Hindi short poem Bharat ki rakshya by Nivedita satpathy

ना मैं हिन्दू हूँ ना मुसलमान हूँ,
ना सिख हूँ ना ईसाई हूँ,
बस भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

ना अपने को अलग समझा ना दूसरों को ग़लत,
सबको अपनाकर मैं चला,
तो गलती हुई कहाँ मुझसे,
भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

ना हिन्दू हूँ ना मुसलमान हूँ,
ना सिख हूँ ना ईसाई हूँ,
सबके साथ मैं चलता हूँ,
भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

सबकी मदद मैं करता हूँ,
फिर मुझसे गलती हुई क्या,
जो मुझसे लड़ते रेहते हो ।
भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा,
अब भी वक़्त है सम्भल जाओ,
ना हिन्दू ना मुसलमान ना सिख ना ईसाई,
भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

सच्चा देशभक्त हो तो
देश की रक्षा करने में मदद करो,
सब मिलकर इस खतरे से लड़ो,
भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

खुद ना बचना चाहो,
तो अपने परिवार के बारे में सोचो,
सच्चा नागरिक बनकर साथ चलो,
भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

ना कोई दुश्मन ना कोई वाइरस हमें हरा सकेगा,
ऐ भारत देश के निवासियों,
सब मिलजुलकर साथ चलो ।
भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ !

~ निवेदिता


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