एक नही कई झाँसी की रानी हैं ~अमिता सिंह~

EK NAHIN KAI JHANSI KI RANI HAIN BY AMITA SINGH IN BEST OF ODISHA

वो भी एक झाँसी की रानी है
लिख रही वो अपनी खुद कहानी है।
लङ रही वो भी अपनी आजादी है
समाज और ईज्जत की जंजीरों से
जकड़ी गई वो नारी है।

उसने आँचल से बांधा जिम्मेदारी है
तो सर पे मायका और ससुराल की
ईज्जत की पगड़ी भारी है ।

ख्वाब और ख्वाईशो से
जंग उसकी ज़ारी है
सबको खुश करके
खुद की जीवन से जद्दोजहद काफी है ।

बलिदान हो रही है वो भी
मगर लिखी ना जाएगी इतिहास उसकी
मिट्टी में मिल जायेंगे ख्वाईश उसकी
खाक बन के उङ जायेगे जिस्म और ख्वाब उसके। ।
ऐसी एक नही, कई-कई झाँसी की रानी हैं।।

                                                                                                        ~अमिता सिंह~


0

This entry was posted in Literature, Short Poems and tagged , , , , , , , , , , . Bookmark the permalink.