वो भी एक झाँसी की रानी है
लिख रही वो अपनी खुद कहानी है।
लङ रही वो भी अपनी आजादी है
समाज और ईज्जत की जंजीरों से
जकड़ी गई वो नारी है।
उसने आँचल से बांधा जिम्मेदारी है
तो सर पे मायका और ससुराल की
ईज्जत की पगड़ी भारी है ।
ख्वाब और ख्वाईशो से
जंग उसकी ज़ारी है
सबको खुश करके
खुद की जीवन से जद्दोजहद काफी है ।
बलिदान हो रही है वो भी
मगर लिखी ना जाएगी इतिहास उसकी
मिट्टी में मिल जायेंगे ख्वाईश उसकी
खाक बन के उङ जायेगे जिस्म और ख्वाब उसके। ।
ऐसी एक नही, कई-कई झाँसी की रानी हैं।।
~अमिता सिंह~
0