सीली हवा और गिला मेरा मन
भीगी पलकें तेरे आने का इंतजार करता ये आंगन ।।
पाती मे जो सब लिख ना सकूॅ
तुझसे हर वो दिन को बाँचने को आतुर ।।
होली ,दिवाली, तीज त्योहार
हर बार तेरे आने का इंतजार
जनती हूँ दुर्लभ है मेरी ये चाह
सरहद पर तैनात तू भारत का लाल ।।
तुम डट के रहना निडर ,
निश्चिंत सरहद पर
तुम्हारे घर की मैं हूँ पहरेदार
मैं निभा रही तुम्हारी सारे किरदार ।।
जो आये थे तुम पिछली बार
कलेजा मुख को था गया आ
दुसरे दिन पग उठा चल दिये थे तुम
देखा ना मुड के एक बार
मैने भी दबा ली थी अपनी पुकार
जनती हूँ भीगी पलकों मे
विरह वेदना तुम भी रहे थे छुपा ।।
सीली सर्द मौसम यहाँ
झेल रहे होगे तुम वहां हिमपात
तिरंगे की शान तुम,
मिट्टी का अभिमान
डटे रहना तुम देश की दुश्मनों के खिलाफ
मैं न्योछावर कर चुकी तिरंगे पे,
अपने सारी आरमान ।।
~अमिता सिंह~
ओडिशा बाइकरनी,
भुवनेश्वर
2