Tag Archives: Hindi
बचपन रईस था ~ अमिता सिंह ~
बचपन ही बहुत रईस था बाबा का कंधा सिंहासन था वहां से दुनिया छोटी दिखती थी आज दफतर की उंचाई से अनंत सी लगती है। माँ का गोद मखमली श्या थी एक ही बिस्तर में भाई-बहन संग गहरी नींद आ … Continue reading
जिन्दगी और रंगमंच ~ अमिता सिंह ~
जिंदगी रंगमंच, हर दिन नई किस्सा है। सबको अपना अपना, किरदार निभाना है ।। सब को लिखना अपना, मिशाल और इतिहास है। उलझन तो आम है , अमीर-गरीब सब पर मेहरबान है।। गिरो,जख्मी हो,पर उठो तो खुद उठो, किसी और … Continue reading
मैं, मैं भी हुँ ~ अमिता सिंह ~
मैं सब में थोडी थोडी हुॅ घर के कोने कोनें में, हर साजसजावट में, मैं सब में थोडी थोडी हुॅ फिर भी मैं, मैं भी हुॅ ।। चाय की चीनी में दाल की तडकें में साग की नमक में भोर … Continue reading
तुम और यहां ~ अनन्या दाश ~
तुम हक की बात करते हो यहां कपड़े अपने पसंद के नहीं पेहेन सकते, तुम दुख की बात करते हो यहां चीखें अनसुना कर देते हैं, तुम इज्जत की बात करते हो यहां अपनो को हम तहजिब सिखाते हैं, तुम … Continue reading
लड़की हूँ ~ मिनाक्षी साहु ~
लड़की हूँ ज़िन्दा रहना चाहती हूँ हक से ।। सन्मान चाहती हूँ अपनी प्रतिष्ठा और स्वाभिमान से । खुलकर जिन्दगी जिना चाहती हूँ, मुस्कुराना चाहती हूँ अपने लिए । रास्ते में हक़ से चलना चाहती हूँ क्यूँ मुझे रोकते हो … Continue reading
राखी की एक डोर ~ अमिता सिंह ~
मइया नही बाबा नही बस एक है भइया। धुंधला गई आंगन मे मेरी पायल की रूणझुन और धुंधला गई बाबा की लोरियाँ । यादें रह गई है अब, मेरा रूठ जाना और मां बाबा का मनाना। तीज त्यौहार फिंके पङे … Continue reading
Hindi short poem: DARR… (डर) ~Dr. Nidhi Garg (डः निधि गर्ग)
हाँ वो डर तेरे मेरे भीतर का वो डर जाने क्या होगा कौन क्या कहेगा जितेगा या हारेगा क्या कोई सोचेगा ।। कितनी आशाएँ कितनी अभिलाषाएं छुटी टुटी क़िस्मत कहा जा के फूटी कौन सी है ये गुत्थी जीत भी … Continue reading
एक नही कई झाँसी की रानी हैं ~अमिता सिंह~
वो भी एक झाँसी की रानी है लिख रही वो अपनी खुद कहानी है। लङ रही वो भी अपनी आजादी है समाज और ईज्जत की जंजीरों से जकड़ी गई वो नारी है। उसने आँचल से बांधा जिम्मेदारी है तो सर … Continue reading
BHARAT KI RAKSHYA भारत की रक्षा by ~Ms. Nivedita Satpathy निवेदिता~
ना मैं हिन्दू हूँ ना मुसलमान हूँ, ना सिख हूँ ना ईसाई हूँ, बस भारत देश का रेहने वाला हूँ भारत की रक्षा चाहता हूँ ! ना अपने को अलग समझा ना दूसरों को ग़लत, सबको अपनाकर मैं चला, तो … Continue reading
WOH HANSEEN MANZAR KAHAN HAI वो हंसीं मंज़र कहाँ है -Ms. Amita Singh अमिता सिंह~
कोई मुझे बता दे कि शुकून कहाँ है ? नजरें जिन्हे तलाशती वो हसीन मंज़र कहाँ है? क्या पाना है जो हम बेचैन हैं इतना ? कौन सी मंज़िल है कि है चाह इतना ? हालात यूँ भी आये है … Continue reading