EK CHAI KI NUKKAD AURATON KE NAAM एक चाय की नुककङ औरतों के नाम BY Ms AMITA SINGH

कभी-कभी नहीं
अक्सर ही मेरे दिल में खयाल आता है…
कि शहर के हर चौराहे पर,
हर एक नुक्कड़ पर….
चाय की एक गुमटी
हम औरतों के लिए भी होती ।
जहाँ खड़ी हो कर
कभी अकेले तो कभी अपने दोस्तों के संग
बीच बाज़ार, भरे चौराहे, ठहाके लगा कर
बातें करतें

अपने घुमक्कड़ी के किस्से
नौकरी की परेशानियां
वायरल हुए जोक और मीम्स
और वो सब कुछ
जो उनके मन में
ना जाने कब से दबी है
वो सब खिलखिलाहटो में निकले

एक मुस्कान में सारी मायूसी लापता हो जाये
चाय की चुस्कियों के मिठास में
सारे शिकवे गुम हो जाये…

बंद हो जाये ये सवाल सारे कि__
इतनी देर कैसे हो गयी,
इतनी देर कहाँ रह गयी
घर का कुछ ध्यान है या नहीं
जैसे अनगिनत सवालों का गूंजना

और सबसे बड़ा सवाल
कि ”आज खाने में क्या बना है
इस सवाल से भी कुछ पल के लिए सही
छुट्टी मिल जाये।

औरतें अपने सारे फ़िक्र,
सारी परेशानियां
पास पड़े कूड़े के डब्बे में थूक दें
और मुस्कुराते हुए कहें…
चल यार! कल मिलते हैं
इसी समय
अपने इसी चाय के नुक्कड़ पर !

~अमिता सिंह,~
ओडिशा बाइकरनी


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