मैं, मैं भी हुँ ~ अमिता सिंह ~

Short poem in Hindi MAIN, MAIN BHI HOON by Amita Singh

मैं सब में थोडी थोडी हुॅ
घर के कोने कोनें में,
हर साजसजावट में,
मैं सब में थोडी थोडी हुॅ
फिर भी मैं, मैं भी हुॅ ।।

चाय की चीनी में
दाल की तडकें में
साग की नमक में

भोर की पहली किरण में
शंखनाद की गुंज में
मंत्रोच्चारण के सुर में
मैं सब में थोडी थोड़ी हुॅ
फिर भी मैं, मैं भी हुॅ ।।

किसी रिस्ते की गर्माहट सी
किसी के दिल की कड़वाहट सी
घर की रीति-रिवाज सी
मै सब मे थोड़ी थोड़ी हुॅ
फिर भी मै, मैं भी हुॅ ।।

मेरी आगाज सी मेरी अंत सी
क्युं कि मैं, मैं भी हुॅ ।।

~ अमिता सिंह ~

 

 

 

 

 

 

 

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