YEH KAISA DAUR HAI ये कैसा दौर है ~ Ms. AMITA SINGH अमिता सिंह~

Yeh Kaisa Daur Hai By Amita Singh

ये कैसा दौर है , ये कैसी दौड़ है ।
सब बस भाग रहे हैं, राहत ना किसी ठौर है ।
किसी को तरक्की चाह ,किसी को पैसों कि प्यास,
किसी को इश्क़ कि चाह, किसी को बेचैनी बेशुमार ।


किसी को अपनों में अपने कि तलाश ,
सब प्यार मुहब्बत की बातें करके,
एक दुसरे को छले जा रहें हैं ।
ज़ुबाॅ मीठी दिल कड़वे हुए जा रहे हैं ।


रिश्तों की भीड़ तो है पर सब तन्हा हुए जा रहे हैं ।
वक्त कि कमी हो रही है, दो कदम की दूरी भी ,
मिटाये नहीं मिट रही हैं ।
दिलों में फासले एक छत के नीचे

,
साथ रह कर भी होने लगी है ।
कौन कदम बढाये, कौन सारी उलझनें सुलझाएं
गुरूर सिर पर हावी है, धैर्य नतमस्तक होने लगी है।
ये कैसा दौर है,  ये कैसी दौड़ है
हम कहाँ जा रहे हैं ?

~अमिता सिंह~
(ओडिशा बाइकरनी)


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