PUKAR ASTITWA KI पुकार अस्तीत्व की ~Ms. AMITA SINGH अमिता सिंह~

युॅ तो पूजते हो तुम दुर्गा ,सरस्वती ,अंबा को
उन्हें तुमने देखा तो नहीं है।
वो मूरत तो तुमने बनाई है ।
बेजान है जो उसके सामने,
तुमने सर अपना झुकाया है ।

मैं तो सजीव हुँ ,प्राण है मुझमें
मेरी पुजा अर्चना ना करो ।
बस थोड़ा सा मान सम्मान दे दो ।

खुल के हम अपनी ज़ींदगी जी सके ।
निडर होकर हम अपनी अस्तीत्व को सँवार सके,
अपनी पहचान बना सके ।
अपने जन्मदाता के माथे की शिकन नहीं शुक़ुन बन सके ।

जहाँ डर ना हो मेरी आबरू लुटने का ।
इज्जत से भरी वो नज़रो दे दो ।
मुझे एक ऐसा स्वतंत्र माहौल दे दो ।
मुझे खुल कर जीने का हक दे दो ।।

~अमिता सिंह~~


1

This entry was posted in Short Poems and tagged , , , , , , , , , . Bookmark the permalink.