जिन्दगी और रंगमंच ~ अमिता सिंह ~

Jindgi aur rangmanch by Amita Singh

जिंदगी रंगमंच,
हर दिन नई किस्सा है।
सबको अपना अपना,
किरदार निभाना है ।।

सब को लिखना अपना,
मिशाल और इतिहास है।
उलझन तो आम है ,
अमीर-गरीब सब पर मेहरबान है।।

गिरो,जख्मी हो,पर उठो तो खुद उठो,
किसी और का ना सहारा लो।
अपने भावनाओं को
किसी के काबू में ना दो।।

आँसुओं से अपने
अग्रसर की नई बीज सिंचो।
उलझो ना दर्द मे अपने ,
उसे बस गुजर जाने दो।।

मजबूत कर रहा है
हर कष्ट तुम्हे,
नई उमंग, नई उम्मीद को
काले गम के बादल को हटाने दो।।

~ अमिता सिंह ~ 

ओडिशा बाइकरनी,

भुबनेश्वर 


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